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बुधवार, 13 मार्च 2024

मदन प्रसाद

 नाम- श्री मदन प्रसाद
लेखक मदन प्रसाद के विषय में जो जानकारी प्राप्त हुयी है उसका आधार इलाहाबाद के प्रकाशन 'फ्रेण्डस एण्ड कम्पनी' की पत्रिका 'जासूसी चक्कर' के अंक जुलाई 1965 के अंक 114 है। 
 फ्रेण्डस एण्ड कम्पनी की एक और पत्रिका है 'उर्मी' जिसमें मदन प्रसाद का उपन्यास प्रकाशित हुआ।
मदन प्रसाद के उपन्यास
1. अपराध, अपराधी और सजा



सोमवार, 11 मार्च 2024

युगल किशोर पाण्डेय

नाम- युगलकिशोर पाण्डेय
जब इलाहाबाद उपन्यास साहित्य का केन्द्र था तब इलाहाबाद से बहुत सी जासूसी पत्रिकाएं प्रकाशित होती थी। इन पत्रिकाओं में एक उपन्यास और एक-दो पृष्ठ पर समाचार होते थे। इनका मुख्य उद्देश्य उपन्यास प्रकाशन ही था। समाचार तो बस पत्रिका होने के रूप में प्रकाशित करने पड़ते थे।
इलाहाबाद का प्रकाशन था 'फ्रेण्डस एण्ड कम्पनी' जिसके अंतर्गत 'जासूसी चक्कर' पत्रिका प्रकाशित होती थी। इस पत्रिका का 'जुलाई 1964' का अंक 114 में लेखक युगल किशोर पाण्डेय का उपन्यास प्रकाशित हुआ था। 
युगल किशोर जी की यह जानकारी उसी उपन्यास से प्राप्त हुयी है।
युगल किशोर पाण्डेय के उपन्यास
1. सड़क छाप मजनू - 1964, जुलाई
2. तीन चक्कर




रविवार, 25 फ़रवरी 2024

क्रमांक वाले कुछ रोचक शीर्षक

साहित्य देश के 'शीर्षक स्तम्भ' के अंतर्गत इस अंक में प्रस्तुत है कुछ ऐसे शीर्षक जो क्रमवार हैं। 
उपन्यास साहित्य में एक समय था जब इस तरह के उपन्यास चैलेंज रूप में भी लिखे जाते थे।
  जब बिमल चटर्जी जी ने धुंआ सीरीज लिखी तो चैलेंज स्वरूप कर्नल सुरेश (रितुराज जी) ने धुंध सीरीज लिखी थी।
यहाँ प्रस्तुत है कुछ ऐसे रोचक शीर्षक, जिनमें उपन्यास एक विशेष क्रम में हैं।
परशुराम शर्मा - पहली छाया, दूसरी छाया, तीसरी छाया, नर्क की छाया
परशुराम शर्मा- पहला चोर, दूसरा चोर, तीसरा चोर,पृथ्वी के चोर
अनिल मोहन- पहली चोट, दूसरी चोट, तीसरी चोट, महामाया की माया
बिमल चटर्जी- पहली चोट, दूसरी चोट, तीसरी चोट, चोट पर चोट
वेदप्रकाश शर्मा- पहली क्रांति, दूसरी क्रांति, तीसरी क्रांति, क्रांति का देवता
श्याम तिवारी - पहला तिलिस्म, दूसरा तिलिस्म, तीसरा तिलिस्म, तिलिस्म का बादशाह
कुमार मनेष- पहला हैवान, दूसरा हैवान, तीसरा हैवान, हैवानों का शहंशाह
बिमल चटर्जी- 
अम्बरीश कश्यप- बाजीगर सीरीज

पहला धुंआ
पहली धुंध
- वेदप्रकाश शर्मा जी का सौवां उपन्यास- कैदी नम्बर 100
- कंवल शर्मा के क्रमशः उपन्यास- वन शाॅट, सैकण्ड चांस, टेक थ्री

शनिवार, 17 फ़रवरी 2024

शलभ - उपन्यास अंश

उपन्यास जगत में तहलका मचा देने वाले
उपन्यासकार शलभ 
के पांच महान उपन्यास

प्यासी
यह कहानी है एक ऐसी औरत की, जो औरत होते हुए भी औरत नहीं थी। जिसकी अधूरी प्यास ने उसे कहां से कहां पहुंचा दिया और वह अपनी प्यास के लिये पतन के गहरे गर्त में गिरती ही चली गई परन्तु क्या उसकी अनबुझ प्यास बुझ सकी ? कैसी प्यास थी वह ?... एक अपूर्ण औरत की दिलचस्प कहानी ।
इन्तकाम
यह इन्तकाम की आग में जलते हुए एक ऐसे युवक की सनसनी खेज गाथा है, जिसने एक हरे-भरे परिवार को तबाह कर दिया ! 
इन्तकाम दो ऐसी युतियों को दर्दनाक गाथा है, जिन्हें परिस्थितियों ने एक विचित्र मोड़ पर ला खड़ा किया। 
एक ऐसे बाप की कहानी है जिसने ...बाप ने इन्तकाम लेने के लिये बेटी और उसके पति की हत्या का इरादा करके भी आत्महत्या कर ली...! 
क्यों ? ...
रहस्य और सनसनी खेज घटनाओं से भरा कथानक ।
चितचोर
यह एक ऐसे युवक की कहानी है जो प्यार का देवता था। जिसने अपनी पत्नी का हर अपराध हंसकर क्षमा कर दिया, किन्तु उसकी पत्नी उसके विश्वास को छलती रही और एक ऐसे गैर पुरुष की बांहों में झूलती रही, जिसकी शक्ल भी उसने नहीं देखी और जब उजाले में एक दिन  शक्ल देखी तो वह चीख उठी ! 
और उसकी हत्या कर दी।
विश्वास
यह है एक युवताइ की आंसू भरी गाथा... जो अपने प्यार को पाकर भी उसे छू नहीं सकती थी। यह चित्रण है भाई-बहन के पावन रिश्ते का और समाज में होने वाले अत्याचारों ओर जुल्मों का । अविश्वास और विश्वास के ताने-बाने में बुना शलभ का एक महान यादगार उपन्यास ।
उपासना
यह उपन्यास है 'शलभ' को लेखनी से बनी एक तस्वीर जो समाज में बिखरे दर्दो... आंसुओं और नफरत का सजीव चित्रण करती है।

और इनके बाद शलभ का आगामी आकर्षण है-
रहस्य, रोमांच, प्यार, नफरत, आंतू और दर्दो से भरी रचना-
जलन
प्रभात पाकेट बुक्स ३३ हरीनगर, मेरठ-२

शलभ उपन्यासकार

नाम- शलभ
प्रकाशन- प्रभात पॉकेट बुक्स

मेरठ कभी उपन्यास साहित्य का मुख्य केन्द्र था। मेरठ से जितने उपन्यास प्रकाशित होते थे, उनमें से अधिकांश छद्म लेखक थे।
 हर प्रकाशन ने अपना -अपना छद्म लेखक(Ghost writer) तैयार कर रखा था।
 इसी क्रम में एक नाम आता है- शलभ।
 शलभ के विषय में कोई ज्यादा और विशेष जानकारी उपलब्ध नहीं है।

शलभ के उपन्यास

  1. प्यासी
  2. इंतकाम
  3. चितचोर
  4. विश्वास 
  5. उपासना
  6. जलन

रविवार, 24 दिसंबर 2023

मनोहर कहानियां, मई 1999

  इलाहाबाद के मित्र प्रकाशन से प्रकाशित होने वाली मासिक पत्रिका मनोहर कहानियाँ अपने समय सर्वाधिक रोमांचक पत्रिका रही है।

   सत्य और काल्पनिक कहानियों के संगम वाली इस पत्रिका को हर वर्ग के पाठकों ने चाहा, सराहा और पढा है।
  इलाहाबाद के मुट्ठीगंज के 'मित्र प्रकाशन' से मनोहर कहानियाँ, सत्यकथा, माया जैसे चर्चित पत्रिकाएं प्रकाशित होती थी। इसके संस्थापक स्वर्गीय श्री क्षितिज मोहन मित्र थे।
मनोहर कहानियाँ पत्रिका का आरम्भ सन 1944 में हुआ था, तब इस पत्रिका में मात्र रहस्य-रोमांच कथाएं ही प्रकाशित होती थी।  मित्र प्रकाशन ने सन् 1972 में 'सत्यकथा' नामक पत्रिका की शुरुआत की जिसमें सिर्फ सत्यकथाएं ही प्रकाशित होती थी। पाठकवर्ग ने सत्यकथा के साथ-साथ रहस्य-रोमांच को ज्यादा महत्व दिया। मित्र प्रकाशन ने सन् 1973 में मनोहर कहानियाँ पत्रिका में रहस्य- रोमांच के साथ-साथ सत्यकथाएं छापनी शुरु की।
सन् 2000 तक यह पत्रिका नियमित प्रकाशित होती रही लेकिन मित्र प्रकाशन की आंतरिक स्थितियां कुछ बदल गयी और मित्र प्रकाशन बंद हो गया।
  बाद में 'डायमंड प्रकाशन दिल्ली' से इस पत्रिका का प्रकाशन हुआ, लेकिन वर्तमान में यह पत्रिका अपने तृतीय प्रकाशन 'दिल्ली प्रेस' के अंतर्गत प्रकाशित हो रही है।
  अब इस पत्रिका में वह 'स्वाद' नहीं रहा, जिसके कारण इसे पाठकों को अत्यंत प्रयास मिल रहा है।
जिन पाठकों ने 90 के दशक में इसे पढा है उन्हें प्रमेन्द्र मित्र, कुमार मित्र, पुष्पक पुष्प, इंस्पेक्टर अहमद यार खान, इंस्पेक्टर नवाज खान,  सुरजीत के अनुवाद, पुलिस की डायरी जैसे किस्से याद ही होंगे।
   अब यह पत्रिका और इसकी यादें ही शेष हैं।

मनोहर कहानियाँ, मई 1999, आवरण पृष्ठ

यहाँ हम मनोहर कहानियाँ may 1999 के अंक के कुछ महत्वपूर्ण पृष्ठ प्रस्तुत कर रहे हैं, जो इस पत्रिका के विषय में बहुत कुछ कहने में सक्षम हैं।

रविवार, 17 दिसंबर 2023

उपन्यास की दुनिया के बेताज बादशाह वेद प्रकाश शर्मा

उपन्यास की दुनिया के बेताज बादशाह वेद प्रकाश शर्मा

वेद प्रकाश शर्मा मेरठ  की  शान हैं. उपन्यास साहित्य है या नहीं, यह साहित्य की मुख्य धारा से जुड़ी हस्तियों के बीच बहस का विषय हो सकता है लेकिन एक सफल उपन्यासकार इसकी परवाह न करते हुए अपने पाठकों से मिलने वाले प्यार को ही सबसे बड़ा ईनाम मानता है और उसकी नजर में यही है उसकी सफलता-असफलता का असली पैमाना। इस बहस से इतर एक उपन्यासकार उपन्यास की विधा को ही अपना सब कुछ मानता है। यही वह विधा है जो अपने पाठकों को तिलिस्म और फंतासी की दुनिया की सैर कराता है। इसके बावजूद समाज में मां-बाप बच्चों को आज भी उपन्यास पढ़ने से क्यों रोकते हैं? उपन्यास क्या है? इसे समाज अथवा साहित्य किस रूप में लेता है? इन बातों को लेकर उपन्यास की दुनिया के बेताज बादशाह वेद प्रकाश शर्मा से की गई चर्चा से अपने पाठकों को रूबरू करा रहे हैं वरिष्ठ पत्रकार  संतराम पाण्डेय। 
        एक मुलाकात में श्री वेद प्रकाश शर्मा खुद ही बताना शुरू करते हैं। जब मैं हाई स्कूल में पढ़ रहा था तो स्कूल की मैग्जीन में मुझे भी कुछ लिखने का मौका मिला। मैंने जो कहानी लिखी उसका शीर्षक था ‘पैनों की जेल’। मेरी कहानी पढ़कर मेरे

शनिवार, 7 अक्तूबर 2023

कर्नल अजीत

नाम- कर्नल अजीत
उपन्यास साहित्य में कर्नल रंजीत के पश्चात जो कर्नल, कैप्ट
इंस्पेक्टर नाम के लेखकों की आंधी चली उसमें एक और नाम हम शामिल करते हैं। वह नाम है कर्नल अजीत। 
कर्नल अजीत के विषय में हमारे जानकारी संक्षिप्त है, किसी मित्र को किसी प्रकार की कोई जानकारी हो तो हमसे अवश्य संपर्क करें।

कर्नल अजीत के उपन्यास
1. कांपती मौत


 

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 लोकप्रिय उपन्यास साहित्य को समर्पित मेरा एक ब्लॉग है 'साहित्य देश'। साहित्य देश और साहित्य हेतु लम्बे समय से एक विचार था उपन्यासकार...